(संसार में सबसे बड़ा कोन है )&@




 🙏🚩एक बार अर्जुन अपने सखा श्री कृष्ण🙏 के साथ वन में विहार कर रहे थे।♥️  अचानक ही अर्जुन के मन मे एक प्रश्न याया और उसने जिनासन के साथ श्री कृष्ण जी🙏 की तरफ देखा श्री कृष्ण जी 🙏ने मुस्कुराते हुए कहा _ हैं पार्थ क्या👏 पूछना है पूछो । 🙂 अर्जुन ने मुस्कुराते हुए बोली🥱 माधव ; पूरे ब्राह्मण मैं सबसे बड़ा कोन है।           श्री कृष्ण जी🙏 ने कहा।  पार्थों सबसे बड़ा तो  धरती⚡ ही दिखती हैं पर इसे समुंद्र। 🌁   ने घेरे हुए है रखा है मतलब यह बड़ी नही है समुंद्र 🌁को भी बड़ा नही कह सकते हैं।  🙏         इसे अगस्त्य। ऋषि  बड़े  बड़े हैं   पर वे भी। आकाश 🌈को एक कोने में मैं चमक रहे हैं।⭐   इसका मतलब सबसे बड़ा मैं ही हूं।    पर मैं भी बड़ा कैसे हो सकता हूं।    क्योंकि। मै अपनी भक्त🧝 के इस। हदय में  वापस करता हूं।   अर्थात ___ सबसे बड़ा भक्त🧝 हैं  इस तरह भक्त के। हदय। में भगवान 🙏 बस्ते है। इसीलिए इस संसार🌄 में सबसे बड़ा भक्त हैं।  🙏🙏🙏🌹🌹♥️ 




उदाहरण।🚩🙏 _______।      

 🚩अपनी इस कहानी में यही कहना चाहती हूं _    कि ईश्वर🙏 कभी खुद को बड़ा नही कहता है।  __ 🙏ईश्वर भक्त के मन में वास  करता है  उसे ढूंढने🚵 के यहां__ वहां  बटकता त्याध्र हैं।         🙏ईश्वर की चाह में मनुष्य🧍 को उसका  स्थान देना गलत है।           🙏भगवा चोले 🚩🚩। के भीतर भगवान 🙏के दर्शन  कि। इच्छा   गलत है ईश्वर 🙏सभी को   भीतर ही अपने कर्मो को     सदमार्ग।  पर ले जाना ही ईश्वर🙏 कि भक्त हैं।  उसकी चाह में खुद को धोखा देना को धोखा देने बराबर हैं। 🚩🚩🚩🚩। (   जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम। )🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 

 (राकेश कुमार ) _। 26_ jun _ 2022 )


 (🙏🇮🇳दूसरा कहानी जरूर पढ़ें 🚩🚩)



मृत्यु सत्य हैं

एक राधेश्याम नामक युवक था | स्वभाव का बड़ा ही शांत एवम सुविचारों वाला व्यक्ति था | उसका छोटा सा परिवार था जिसमे उसके माता- पिता, पत्नी एवम दो बच्चे थे | सभी से वो बेहद प्यार करता था |

इसके अलावा वो कृष्ण भक्त था और सभी पर दया भाव रखता था | जरूरतमंद की सेवा करता था | किसी को दुःख नहीं देता था | उसके इन्ही गुणों के कारण श्री कृष्ण उससे बहुत प्रसन्न थे और सदैव उसके साथ रहते थे | और राधेश्याम अपने कृष्ण को देख भी सकता था और बाते भी करता था | इसके बावजूद उसने कभी ईश्वर से कुछ नहीं माँगा | वह बहुत खुश रहता था क्यूंकि ईश्वर हमेशा उसके साथ रहते थे | उसे मार्गदर्शन देते थे | राधेश्याम भी कृष्ण को अपने मित्र की तरह ही पुकारता था और उनसे अपने विचारों को बाँटता था |

एक दिन राधेश्याम के पिता की तबियत अचानक ख़राब हो गई | उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया | उसने सभी डॉक्टर्स के हाथ जोड़े | अपने पिता को बचाने की मिन्नते की | लेकिन सभी ने उससे कहा कि वो ज्यादा उम्मीद नहीं दे सकते | और सभी ने उसे भगवान् पर भरोसा रखने को कहा |

तभी राधेश्याम को कृष्ण का ख्याल आया और उसने अपने कृष्ण को पुकारा | कृष्ण दौड़े चले आये | राधेश्याम ने कहा – मित्र ! तुम तो भगवान हो मेरे पिता को बचा लो | कृष्ण ने कहा – मित्र ! ये मेरे हाथों में नहीं हैं | अगर मृत्यु का समय होगा तो होना तय हैं | इस पर राधेश्याम नाराज हो गया और कृष्ण से लड़ने लगा, गुस्से में उन्हें कौसने लगा | भगवान् ने भी उसे बहुत समझाया पर उसने एक ना सुनी |

तब भगवान् कृष्ण ने उससे कहा – मित्र ! मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ लेकिन इसके लिए तुम्हे एक कार्य करना होगा | राधेश्याम ने तुरंत पूछा कैसा कार्य ? कृष्ण ने कहा – तुम्हे ! किसी एक घर से मुट्ठी भर ज्वार लानी होगी और ध्यान रखना होगा कि उस परिवार में कभी किसी की मृत्यु न हुई हो | राधेश्याम झट से हाँ बोलकर तलाश में निकल गया | उसने कई दरवाजे खटखटायें | हर घर में ज्वार तो होती लेकिन ऐसा कोई नहीं होता जिनके परिवार में किसी की मृत्यु ना हुई हो | किसी का पिता, किसी का दादा, किसी का भाई, माँ, काकी या बहन | दो दिन तक भटकने के बाद भी राधेश्याम को ऐसा एक भी घर नहीं मिला |

तब उसे इस बात का अहसास हुआ कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं | इसका सामना सभी को करना होता हैं | इससे कोई नहीं भाग सकता | और वो अपने व्यवहार के लिए कृष्ण से क्षमा मांगता हैं और निर्णय लेता हैं जब तक उसके पिता जीवित हैं उनकी सेवा करेगा |

थोड़े दिनों बाद राधेश्याम के पिता स्वर्ग सिधार जाते हैं | उसे दुःख तो होता हैं लेकिन ईश्वर की दी उस सीख के कारण उसका मन शांत रहता हैं |

दोस्तों इसी प्रकार हम सभी को इस सच को स्वीकार करना चाहिये कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं उसे नकारना मुर्खता हैं | दुःख होता हैं लेकिन उसमे फँस जाना गलत हैं क्यूंकि केवल आप ही उस दुःख से पिढीत नहीं हैं अपितु सम्पूर्ण मानव जाति उस दुःख से रूबरू होती ही हैं | ऐसे सच को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही जीवन हैं |

कई बार हम अपने किसी खास के चले जाने से इतने बेबस हो जाते हैं कि सामने खड़ा जीवन और उससे जुड़े लोग हमें दिखाई ही नहीं पड़ते | ऐसे अंधकार से निकलना मुश्किल हो जाता हैं | जो मनुष्य मृत्यु के सत्य को स्वीकार कर लेता हैं उसका जीवन भार विहीन हो जाता हैं और उसे कभी कोई कष्ट  

  तोड़ नहीं सकता | वो जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ता जाता हैं |

 अन्य इस तरह के।   कहानी सुनने एवम् देखने के लिए  मेरे पोस्ट पर जाए 

 (+राकेश कुमार )  26__jul_2022 

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